जय श्री राम ............ | मित्रो,अपने वादे के मुताबिक हम आप की सेवा में हाज़िर हैं | ज्योतिष सम्मेलन में शिरकत कर इंदौर से लौट आये हैं | सम्मेलन के बारे में बात कल करेंगे | आज बात करेंगे वैतरणी जी के प्रश्न की | हम ने वादा किया था कि आज उन के सवाल का जवाब देंगे |
सब से पहले तो हम वैतरणी जी की बात में एक संशोधन कर देते हैं | अंकज्योतिष में 9 अंकों की मान्यता है,न कि 10 की | ये अंक हैं-1,2,3,4,5,6,7,8 और 9 | 0 को ब्रह्माण्ड स्वरुप माना गया है | उसे इन गणनाओं में सम्मिलित नहीं किया जाता है | ............ मित्रो,किसी भी बात को तभी समझा जा सकता है कि जब खुले मन-मस्तिष्क से काम लिया जाए | मूर्खता,संकीर्णता और पूर्वाग्रह से काम लेने वाले को तो स्वयं ईश्वर भी धरती पर उतर आये तो भी नहीं समझा सकते | अगर किसी का सारा जोर सिर्फ़ उंगली उठाने में ही है,समझने में नहीं,तो फिर उस के लिए ज्ञान-विज्ञानं की कोई बात नहीं है | उस की अक्ल पर तरस खाने के अलावा हम और कुछ नहीं कर सकते | वह उन्हीं मूर्ख,दुराग्रही और संकुचित सोच वाले कुतर्कशास्त्रियों की भाँति है,जो कि विगत 15 तारीख को सूर्यग्रहण वाले दिन एक न्यूज़ चैनल पर ज्योतिष पर प्रश्नचिह्न लगा रहे थे | हमारी पृथ्वी तो ब्रह्माण्ड का एक बहुत छोटा-सा भाग भर है | न जाने इस जैसी कितनी सभ्यताएँ अस्तित्वमय हैं | आज तो वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि ब्रह्माण्ड के समस्त पिंडों में जो नियमितता और व्यवस्था है,वह अतुल्य है | ईश्वर ने समूचे ब्रह्माण्ड को इस तरह व्यवस्थित किया है कि रत्ती भर भी इधर से उधर होने की गुंजाइश नहीं है | ये पिंड लाखों-करोड़ों वर्षों से अपने-अपने परिक्रमा-पथ पर अनवरत इस प्रकार भ्रमण कर रहे हैं कि एक मिनट का भी अंतर नहीं उत्पन्न होता है |
ईश्वर ने 9 अंकों में नहीं,अपितु 9 मूल अंकों में समस्त सृष्टि को भली-भाँति विभाजित कर रखा है | असल में ये अंक विभिन्न ग्रहों का ही तो प्रतिनिधित्व करते हैं | प्रत्येक अंक भौतिक और मानसिक स्वरूपों व प्रवृत्तियों का प्रतीक है | इन मूल अंकों का आगे जा कर संयुक्त अंकों में विस्तार भी है | गणना करते समय उन की भी महती भूमिका रहती है | स्थूल गणना या मोटी-मोटी बात करते समय 9 मूलांकों से ही काम निकाल लिया जाता है,मगर सूक्ष्म गणना में इन संयुक्तांकों की स्थिति ही निर्णय करवाती है | जैसे-अंक 8 | यह किसी के नामांक या जन्मांक में बना है तो इतने मात्र के आधार पर मोटे टूर पर अच्छा या बुरा कह देना भी ठीक है,मगर आगे की विवेचना के लिए यह देख लेना होगा कि यह अंक 8 बना कैसे है-8 से,17 से,26 से,35 से,44 से,53 से,62 से,71 से,80 से,89 से या फिर 98 से ? यहाँ कौनसा अंक किस स्थान पर बैठा है,यह बात भी बहुत महत्त्वपूर्ण रहती है | आप को यह जान कर आश्चर्य हो सकता है कि इन अंकों की इस संयुक्त रूप वाली स्थिति के समुचित विश्लेषण से जातक की पूर्व जन्म की स्थिति में भी पहुँचा जा सकता है | इस लिए झट से मुँह खोल कर यह कह देना बिलकुल मूर्खताभरी बात है कि सब कुछ इतने-से अंकों में कैसे आ सकता है ? जब किसी बात की गणना की जाती है तो अंकों के सूक्ष्म विवेचन के लिए बहुत गहरे में उतरना पड़ता है | अंकों में समायी ब्रह्माण्ड की इस प्रतीकात्मकता को भली-भाँति समझना होगा | आप बताइए कि 1010,212,1030,1969 और 1050 क्या है ? नहीं बता पाएँगे न ? अब जो रसायन शास्त्र का जानकार है,वह तो इस सवाल का जवाब आसानी से दे देगा कि 1010 पानी,212 हाइड्रोजन,1030 ऑक्सीजन,1969 नाइट्रोजन और 1050 कार्बन का प्रतीक है | इन अंकों में ये तत्त्व सिमटे नहीं हैं,अपितु इन अंकों के माध्यम से ये अपने आप को प्रकट करते हैं | इन अंकों से इन तत्त्वों की विवेचना की जाती है | इसी प्रकार 9 मूलांक भौतिक,मानसिक और शारीरिक स्वरूपों और वृत्तियों के प्रतिनिधि हैं | ब्रह्मांड में पल-प्रतिपल घटित होने वाली प्रत्येक घटना की विवेचना में ये अंक पूर्णरूपेण सक्षम हैं,शर्त यह है कि विवेचनकर्ता उसी के अनुरूप सक्षम होना चाहिए | 1 से 9 तक के अंक यानि मूलांक हमारी समस्त गणनाओं के मूल आधार हैं | संयुक्त अंक भी मूल रूप में इन्हीं का दोहराव हैं |
अब एक उदहारण लेते हैं | अंक 2 का स्वामी ग्रह चन्द्रमा है या यूँ समझ लीजिए की यह अंक चन्द्रमा का प्रतिनिधित्व करता है | हम सभी यह अच्छी तरह जानते हैं कि जिस चन्द्रमा को मन का प्रतिनिधि माना गया है,वह सिर्फ़ मनुष्यों को ही नहीं,अपितु पशु-पक्षियों और निर्जीव प्रकृति को भी किस कदर प्रभावित करता है | समुद्र का हज़ारों टन पानी इस के प्रभाव से 100-100 फुट ऊँचा उठ जाता है | इसी प्रकार यह मन को भी प्रभावित करता है | मन में विभिन्न भाव-तरंगें इसी के कारण उठती हैं | मानसिक रूप से दुर्बल लोगों पर यह ज़्यादा प्रभाव डालता है,जब कि सबल लोगों पर कम | इसी प्रकार अंक 2 परिवार,पत्नी,स्त्री वर्ग और साझेदारी का भी है | स्वास्थ्य के हिसाब से यह नर्वस सिस्टम,नाक-कान-गला,आँखों और पेट के स्वास्थ्य का मालिक है | ज्योतिष विज्ञान तो है ही,साथ ही उस से भी आगे का ज्ञान है | जिस चन्द्रमा को विज्ञानं पृथ्वी का उपग्रह मात्र मानता है,ज्योतिष उसी को ग्रह मानता है | जब चन्द्रमा का सृष्टि पर यह प्रभाव है तो सोचिए कि जो ग्रह उस से भी बड़े हैं,उन का कितना प्रभाव होता है ? एक नज़र इस बात से सम्बंधित आंकड़ों पर भी डाल लीजिए-
ग्रह क्षेत्रफल
सूर्य 8,80,000 मील
बृहस्पति 88,390 मील
शनि 71,900 मील
नेपच्यून 36,000 मील
यूरेनस 33,000 मील
शुक्र 7,510 मील
मंगल 4,920 मील
प्लूटो 2,400 मील
चन्द्रमा 2,100 मील
वैतरणी जी ने परमाणु के अर्द्धांश द्वारा घटित होने वाली लाखों घटनाओं की बात की है | मित्रो,हमारे साथ यही तो सब से बड़ी समस्या है कि हम अणुओं-परमाणुओं के आपसी जुडाव,विभिन्न जैविक,भौतिक और रासायनिक क्रियाविधियों को तो देखते हैं,मगर इन सब को जो संचालित करता है,उसे नहीं समझ रहे हैं | प्रकृति की अपनी विशिष्ट ज्यामिति है | हम इस के बाहरी रूप की तो पर्याप्त जानकारी रखते हैं,मगर इस के गूढ़ विषयों के मामले में जीरो हैं | प्रकृति की ज्यामिति को पूरी सद्भावना और धीरज से देखने पर पता चलेगा कि ये अंक वस्तुओं की आत्मा की गहन अभिव्यक्ति है | सुप्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक कैपलर का सिद्धांत है कि ग्रहों के नियतकालिक समय के वर्ग परस्पर सूर्य की औसत दूरी के घन रूप में विद्यमान हैं | इस से स्पष्ट है कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड स्वयं यांत्रिकीय नियमों से संचालित है | यह उस महाप्रज्ञा की अभिव्यक्ति है | यह प्रज्ञा अंकों के माध्यम से प्रकट होती है | प्रकाश और ध्वनि विकसित अवस्था में रंग,आकृति और संगीत के रूप में प्रकट होते हैं | ये उसी अभिव्यक्ति का रूप हैं | यह कोई व्यक्तिवाचक तथ्य नहीं है,अपितु सार्वजनीन तथ्य है | भले ही चाहे लैटिन मार्स,चीनी हो,सिंग हो,फारसी मार्दुक,कैलडियन कोह,काप्टिक खाम,ग्रीक वल्कन या फिर भारतीय अंगारक की बात हो;एक प्रकार का ग्रह पदार्थ एक ही प्रकार के गुणों की अभिवयक्ति करता है | आदि पुरुष,जिसे ADM कहा जाता है;उस के अंक हैं-1+4+4=9 | अंक 9 का रंग है लाल,जब कि ADM का अर्थ भी लाल ही है | इन अंकों को हिब्रू सिस्टम से काम लेने पर रूप बनता है-144 | इसे '12 गुणा 12 ' भी कहा जा सकता है | असल में हमारे विचार त्रिआयामी और हमारी अनुभूति सप्ताब्द है | इस पार्थिव जीवन के ज्यामितीय अनुपात हमारे अस्तित्व को सदा-सर्वदा प्रभावित करते हैं | ख़ास बात यह है कि हम इस ब्रह्माण्ड से अधिक शक्तिशाली हैं | इस का कारण यह है कि हम उस सर्वोच्च चेतन शाश्वत सत्ता से निरंतर जुड़े हैं | उस सत्ता ने अपने को अंकों के माध्यम से प्रकट कर रखा है | इस लिए इन 9 अंकों में वह ईश्वर सिमटा हुआ नहीं है,अपितु उस ने अपने-आप को इन में परिव्याप्त कर रखा है | इस लिए यदि हम इन अंकों का प्रयोग उसी परम सत्ता द्वारा निर्धारित व्यवस्था के रहस्य खोलने में करते हैं तो यह सांगोपांग रूप से उचित ही है |
प्रख्यात वैज्ञानिक जैकब बोहम ने चार पदार्थों को चार स्थिर राशियों द्वारा प्रकट किया है | चार पदार्थों की आकृतियाँ सिंह,मनुष्य,गरुड़ व वृष हैं | ये 'आध्यात्मिक','मानसिक','मनोवैज्ञानिक' और 'शारीरिक' नामों से जानी जाती हैं | BOHAM ने इन्हें चार ऋतुओं तथा पृथ्वी के चार कोनों या मूलभूत अंकों से जोड़ा है | समस्त 9 अंकों को अस्तित्व के प्रत्येक चार धरातलों पर अंकित कर लिया जाए तो मनुष्य इन चार धरातलों की संख्याओं-3,5,6,9 का रूप ले लेता है | इन संख्याओं का योग बनता है-23,जिस का मूलांक बनता है-५ | यह बुध का अंक है | यह 'E' वर्ण है | इसी प्रकार अग्नि,वायु,जल और पृथ्वी-इन चार तत्त्वों की राशियों के आध्यात्मिक,मानसिक,मनोवैज्ञानिक और शारीरिक मान होते हैं | इस कारण अंकों को 12 राशियों में विभाजित किया गया है | सूर्य पद्धति में इन 12 राशियों के भी अंक होते हैं | ये ही अंक समूची गणना में ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करते हैं |
वैतरणी जी ने एक बात और कही है कि दावे प्रस्तुति से कुछ नहीं होगा | हम यही कहना चाहेंगे कि क्यों नहीं होगा,बहुत कुछ होगा | जब हमारी बात सही सिद्ध होती है तो दावा करने या श्रेय लेने का हमारा अधिकार भी तो बनता है | इस में गलत भी क्या है | मित्रो,मनुष्यों की तो बात छोडिए,हम तो उस से भी कई क़दम आगे जा कर लोकसभा,विधानसभा और स्थानीय निकायों की भी सीटवार भविष्यवाणी करते हैं | इसे आप क्या कहेंगे ? इस लिए वैतरणी जी और इन के जैसे ही अन्य लोगों से हम यह निवेदन करना चाहेंगे कि कभी भी ज्योतिष पर टिप्पणी करने से पहले थोड़ा उस से परिचित भी हो लें,तो ज़्यादा ठीक रहेगा | बैठे-बिठाए खाली हवाई उड़ानें न भरें | ज्योतिष कोई ऐरी-गैरी चीज़ नहीं है | यह उस परम सत्ता को महसूस करने का माध्यम है | भविष्यवाणियाँ तो तुच्छ सांसारिक उपलब्धियाँ हैं | यह 9 अंकों में सिमटी अंकज्योतिष " सिमटे तो दिल-ए-आशिक़,फैले तो ज़माना है" |
मित्रो,वैतरणी जी के समान यदि आप भी कोई जिज्ञासा रखते हैं या किसी विषय विशेष पर जानकारी चाहते हैं अथवा आप का कोई सुझाव है तो बिना किसी संकोच के हमें लिख भेजिए | आप के सकारात्मक दृष्टिकोण का सदा स्वागत है | हम तो अंकज्योतिष और बॉडी लैंग्वेज के साधारण विद्यार्थी हैं | आप के विचारों से प्रेरित हो कर हम और अधिक सीखेंगे | ... अब बस इतना ही | आज के आनंद की जय |
very nice post, mujhe garv hai ki main HINDU hun
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक अच्छा लगा या जानना शुक्रिया
जवाब देंहटाएंpahli baar aaya aapke blog par aour jab dekha ki ynha nishulk paramarsh diya jata he to yakinan taajjub hua. taajjub isliye ki aaj ke dour me jab bazaarvaad ne jyotish ko bhi apne jaal me fansaa liyaa he vnha nishulk sun kar azeeb sa lagne lagaa he, yadi vakai esa he to is satkarm ke liye aapko badhaai.
जवाब देंहटाएंjaankaari umda he. ise note kar rakhaa jaana chahiye.
अच्छी पोस्ट!
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