जय श्री राम ............| आदरणीय मित्रो, अब बात कर लेते हैं भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अधक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह की|
राजनाथ सिंह : नहीं बन पाएँगे प्रधानमन्त्री
जन्म-दिनांक:-13-02-1950
मूलांक:-4 भाग्यांक:-3 आयु अंक:-9 (63 वाँ वर्ष) नामांक:-9 जन्म काचलित अंक:-8 (-) चलित दशा:-अंक 3 (वर्ष 2013 तक)
इनकी सूर्य राशि कुम्भ है| इनके मूलांक के वृहदंक 13 में पितृदोष-ग्रस्त पुरुष व मित्र अंक है| शनि (अंक 8) में जन्म होने के कारण पितृ पुरुष के रूप में पार्टी के लिए घातक हैं| अंक 8 के सौम्य समय में जन्म के कारण यह नुकसान अन्दर ही अन्दर व तगड़ा होता है| इसी कारण इनके उत्तर प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी बराबर नीचे जाना शुरू हुई, जो अब तक नहीं रुकी है| राजनाथ उ.प्र. भाजपाध्यक्ष बने थे 25-03-1997 को| यहाँ मूलांक 7 व भाग्यांक 9 की युति थी| तब चलित वर्ष 8 (1997), भाजपा का चलित अंक 8 (17 वाँ वर्ष) व इनका आयु अंक 3 (48 वाँ वर्ष) था| इनका अपना आयु अंक (3) पक्ष का होने के कारण इन्हें तो व्यक्तिगत लाभ हो गया (प्रदेशाध्यक्ष) बन गए; किन्तु पार्टी का कबाड़ा होना शुरू हो गया| यही अंकीय कारण रहे कि जब राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री बने तो उसके बाद भाजपा कभी सत्ता में नहीं आयी| ये मुख्यमंत्री बने 28-10-2000 को| यहाँ मूलांक 1 व भाग्यांक 4 थे| इन अंकों में वही पितृ दोष है, जिसकी हम राजनाथ सिंह के यहाँ बार-बार चर्चा कर रहे हैं| तब एक बार फिर राजनाथ के व्यक्तिगत अंक पक्ष के थे (आयु अंक 6), किन्तु भाजपा को तो ये अंक ले डूबे| इन्हीं अंकों का परिणाम यह हुआ कि भाजपा उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने को तारस रही है और अभी तो जब तक इसका तोड़ नहीं करवाया जाएगा, तब तक तो तरसना पड़ेगा| राजनाथ सिंह के अंकों का यह पितृ दोष का अभिशाप यहीं समाप्त नहीं होता है, बल्कि इसका चरम होता है वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में| इन्हीं पितृ दोष वाले अंकों के ही कारण राजनाथ सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते भाजपा वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव हार गयी, जब कि वह एडवांटेज की स्थिति में थी| राजनाथ सिंह ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार संभाला 31-12-2005 को| यहाँ मूलांक 4 व भाग्यांक 5 की युति थी| यह युति भ्रम और धुंध की अवस्था बनती है| इसी के कारण भाजपा को यह भ्रम बना रहा कि वह सत्ता में आ रही है| भाजपा को ही नहीं, बल्कि ओपिनियन पोल और सर्वे वालों को भी यह भ्रम रहा| तब चलित अंक 8 (+) था| यह स्थिति को और भी विस्फोटक बनाता है| यहाँ भी भाजपा को चाहिए था कि राजनाथ सिंह को वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले ही पद से विदा कर देती, तो पिक्चर शायद कुछ और हो जाती; मगर यही तो भाग्य है| राजनाथ सिंह केअंकों का यही पितृ दोष इन्हें न तो फिर से भाजपा अध्यक्ष बनने देगा और न ही प्रधानमंत्री| ये तो प्रधानमंत्रीपद की दौड़ में भी आ जाएँ तो भी इन्हें अपने आपको धन्य मानना चाहिए| इनके करियर का सर्वोच्च इन्हेंमिल चुका है| इन्हें सत्ता के लिए भागने की बजाय अब संरक्षक की भूमिका ही निभानी चाहिए, यही भाग्य का प्रबल संकेत है|
मिलते हैं इस शृंखला के अगले भाग के साथ| ............ जय श्री राम|
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