जय श्री राम ............| आदरणीय मित्रो, मुम्बा देवी की गोद यानि मुंबई शहर से लौट आये हैं| 19 अगस्त को यहाँ एक ज्योतिष सम्मेलन में सहभागिता की| हमारे वरिष्ठ मित्र श्री नितिन गोटी और उनके साथियों द्वारा यह सम्मेलन गोरेगांव (पश्चिम) के ललित रेस्टोरेंट के सेमिनार हाल में हुए इस सम्मेलन के लिए नितिन जी और उनके साथियों के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए| आशा की जानी चाहिए कि भविष्य में वे कम से कम दो दिन का आयोजन करेंगे और वह भी इसी प्रकार सफल रहेगा| हम श्री नितिन गोटी और उनके साथियों के लिए अपनी शुभकामना व्यक्त करते हैं|
इस सम्मेलन के दूसरे सत्र में हमारा व्याख्यान था| विषय था-'भारत में आर्थिक भ्रष्टाचार'| इसी विषय पर हमने धर्मशाला (हि.प्र.) में विगत 28-29 जुलाई को आयोजित ज्योतिष सम्मेलन में दूसरे दिन के पहले सत्र में व्याख्यान दिया था| यहाँ प्रस्तुत है मुंबई सम्मेलन के इस हमारे इस व्याख्यान का आलेख-रूप|
वर्तमान सन्दर्भों में भारतवर्ष के लिए दो तारीख़ें लागू होती हैं| पहली तो स्वाधीनता दिवस की और दूसरी गणतंन्त्र दिवस की| स्वाधीनता दिवस के अंक हैं-15-08-1947| यहाँ मूलांक 6, भाग्यांक 8, मासांक 8, वर्षांक 3 और चलित अंक 1-4 है| यहाँ मूलांक 6 व भाग्यांक 8 में शुक्र की भ्रष्ट युति बनती है| गणतंत्र दिवस के अंक हैं-मूलांक 8, भाग्यांक 6, मासांक 1 वर्षांक 6 व चलित अंक 8 (-) है| यहाँ भी मूलांक 8 व भाग्यांक 6 में शुक्र की भ्रष्ट युति बनती है| यह शुक्र की भ्रष्ट युति आर्थिक भ्रष्टाचार का मूल आधार है| इसका अर्थ यह हुआ कि भारत की इन महत्त्वपूर्ण आधारभूत तारीखों के अंकों में यह नियत है कि भारत में आर्थिक भ्रष्टाचार की जड़ें तो गहरी होनी ही हैं| स्वाधीनता दिवस के अंकों में मूलांक-भाग्यांक की 6-8 की युति के साथ मासांक 8 की युति शुक्र की भ्रष्ट अवस्था को बढ़ा देती है| अंक 1 व 4 प्रशासन, सरकार और नेतृत्व के हैं| यहाँ चलित के अंक 1 व 4 की युति सरकार और नेतृत्व के स्तर पर भ्रष्टाचार का परेशानीभरा रूप दर्शाता है| गणतंत्र दिवस के मूलांक-भाग्यांक की 8-6 की युति के साथ चलित अंक 8 व वर्षांक 6 की भ्रष्ट शुक्र की युति के मिल जाने से उस युति का द्वैत हो जाता है, जिससे वह दुगुनी प्रभावी हो जाती है| यहाँ मासांक 1 फिर से वही नेतृत्व और सरकार के स्तर पर भ्रष्टाचार बताती है| तात्पर्य यह हुआ कि भारत में सरकारी स्तर पर आर्थिक भ्रष्टाचार की जड़ें आधार से ही मज़बूत हैं| अब बात करते हैं भारत के नामांक की| संविधान के प्रावधानों के अनुसार भारत को अंकीय गणना में 'INDIA' नाम से काम लेना होगा| इसका अंक बनाता है-6, जिसका वृहदंक बनता है-15| यहाँ अंक 1, 5 व 6 का त्रिकोण नेतृत्व और सरकार के स्तर पर आर्थिक मामलों में ढुलमुलपन,अस्थिरता और पारदर्शिता में कमी बताता है|अंक 15 का यही समन्वय भारत के स्वाधीनता दिवस की दिनांक के मूलांक में है| इसी प्रकार गणतंत्र दिवस के मूलांक के वृहदंक 26 का विश्लेषण किया जाए| अंक 2, 6 व 8 का त्रिकोण साझेदारी, महिला और पार्टी स्तर पर भ्रष्टाचार को बताता है| अब वृहदंक 15 व 26 का संयुक्त विश्लेषण बताता है कि जब-जब इस देश पर महिला या साझेदारी/गठबंधन का शासन रहा है, तब-तब इस देश में अर्थ संबंधी महत्त्वपूर्ण उठापटक हुई है और होगी भी| हाँ, अन्य शुभ या बलिष्ठ अंकों की उपस्थिति में यह उठापटक अच्छी रहती है, जबकि अशुभ या दुर्बल अंकों की उपस्थिति में यह उठापटक आर्थिक भ्रष्टाचार का रूप ले लेती है| अब यह प्रश्न खड़ा होता कि देश पर महिला शासन की बात करें तो इंदिरा गान्धी का भी शासन रहा था, तब तो आज जैसा नहीं हुआ| क्यों? इंदिरा गान्धी के समय भी महत्त्वपूर्ण आर्थिक उठापटक हुई थी| उन्होंने राजाओं के प्रिवीपर्स समाप्त किये थे, तब तगड़ा बवाल उठा था| साथ ही इंदिरा गान्धी ने जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, तब भी बवाल उठा था, मगर ये बवाल उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाए, बल्कि इंदिरा गान्धी इनसे टकराकर और मज़बूत ही हुईं| इसका कारण छुपा है उनके जन्मानकों में| उनके जन्मांक (19 नवम्बर) में तीन अंक 1 के साथ 1 अंक 9 की बलिष्ठ अवस्था है| इसी ने इंदिरा गान्धी को विजेता बनाया| साथ ही एक और बात| इंदिरा गान्धी को आर्थिक उठापटक के झटके इसलिए भी नहीं झेलने पड़े क्योंकि उनकी सरकार साझेदारी/गठबंधन की नहीं थी| अभी की हालत के बारे में यह सच सब जानते हैं कि इस सरकार में प्रधानमंत्री भले ही मनमोहन सिंह हों, वास्तव में इसकी कमान सोनिया गान्धी के ही हाथों में है, साथ ही यह सरकार है भी साझेदारी/गठबंधन की| | इनके यहाँ सहयोग/साझेदारी/गठबंधन/स्त्री के अंक 2 खराब हैं| साथ ही इस स्त्री अंक 2 के साथ अंक 8 की युति छद्म अवस्था बताती है, जो कि इस सरकार पर सोनिया के परोक्ष नियंत्रण को दर्शाती है| इस खराब अंक के कारण ही इस सरकार के अब तक के अधिकतर घोटाले सहयोगी दलों खाते में आये हैं|
अब प्रश्न यह उठता है कि इसका मतलब क्या यह हुआ कि हमारे देश के अंकों में यह भ्रष्ट शुक्र कि युति तो शुरू से मौजूद है, फिर ये बवाल पिछले कुछ वर्षों से ही क्यों उठ रहे हैं? इसका जवाब दो टुकड़ों में है| पहला टुकड़ा| हमारे देश में आर्थिक भ्रष्टाचार को लेकर पिछले कुछ वर्षों में ही बवाल उठ रहे हैं, यह बात बिलकुल ग़लत है| हमारे देश की स्वतंत्रता के कुछ ही समय बाद से ऐसे मामले उठाते रहे हैं| नेहरू काल में फ़िरोज़ गान्धी ने ऐसा ही एक मामला उठा कर नेहरू सरकार की हालत खराब कर दी थी| वह मामला था हरिदास मूंधड़ा का| बाद के वर्षों में हर्षद मेहता, अब्दुल करीम तेलगी, नीरा राडिया, ए. राजा, कनिमोझी, सुरेश कलमाड़ी और दयानिधि मारन जितने भी नाम आर्थिक भ्रष्टाचार और घोटालों के सिलसिले में सामने आये हैं, सब के अंकों में अंक 6 व अंक 8 की युति यानि भ्रष्ट शक्र की युति है|
जहाँ तक अभी का सवाल है तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खुद के यहाँ वृहदंक 26 वाला मूलांक 8 है, जिसमे गणतंत्र दिवस के अंकों वाली युतियाँ ही हैं| इस कारण मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ये मामले बहुत बड़े रूप में सामने आ रहे हैं| इन अंकों की यह अवस्था वर्ष 2011 और 2012 में ज्यादा हो गयी है| इसका कारण यह है कि वर्ष 2011 का अंक बनता है 4 और भारत का आयु अंक 1-2 था, जबकि वर्ष 2012 का अंक 5 और भारत का अंक 2-3 है| स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के अंकों के साथ ये अंक भ्रष्ट शुक्र की तीव्रता प्रबल कर देते हैं|
वर्ष 2013 अंक 6 वाला वर्ष है| यह अंक भारत के अंकों की भ्रष्ट शुक्र की युतियों के साथ मिल कर फिर से उबाल पैदा करेगा| तब एक बार फिर से आर्थिक भ्रष्टाचार से सम्बन्धित मामले और जोर से उछालेंगे, जिन्हें संभाल पाना इस सरकार के लिए बहुत कठिन हो जाएगा|
राहत कब?
वैसे तो यह सामान्य कथन है कि सदाचार और भ्रष्टाचार हर युग में रहे हैं और रहेंगे भी| दोनों में कोई कभी समाप्त नहीं होगा\ बात मात्रा या प्रतिशत की है| अतः हमारी जिज्ञासा इस बात में होनी चाहिए कि इस भ्रष्टाचार का प्रतिशत इतना कम कब होगा कि जिसे हम राहत कह सकें? यहाँ हम मूलांक-भाग्यांक विधि काम लेते हैं| भारत के स्वाधीनता दिवस के मूलांक 6 और भाग्यांक 8 की युति से अंक बनता है-68| भारत की स्वतंत्रता से यह वर्ष आता है 15-08-2014 से 14-08-2015| इसी प्रकार इन्हीं अंकों की प्रतिरूप अवस्था बनाएँ या फिर गणतंत्र दिवस के मूलांक 8 व भाग्यांक 6 की युति से बनाएँ तो यह बनता है-86| यह समय है 15-08-2032 से 14-08-2033| इस प्रकार यह वह अवधि है, जब देश को आर्थिक भ्रष्टाचार से राहत मिलेगी| हाँ, एक बात और| जब यह समयावधि आरम्भ होगी, तब भ्रश शुक्र वाले मनमोहन सिंह सरकार के मुखिया पद पर नहीं होंगे|
मित्रो, बात बहुत लम्बी हो गयी है| अब विराम लेते हैं| ......... आज के आनंद की जय| ............. जय श्री राम|
इस सम्मेलन के दूसरे सत्र में हमारा व्याख्यान था| विषय था-'भारत में आर्थिक भ्रष्टाचार'| इसी विषय पर हमने धर्मशाला (हि.प्र.) में विगत 28-29 जुलाई को आयोजित ज्योतिष सम्मेलन में दूसरे दिन के पहले सत्र में व्याख्यान दिया था| यहाँ प्रस्तुत है मुंबई सम्मेलन के इस हमारे इस व्याख्यान का आलेख-रूप|
वर्तमान सन्दर्भों में भारतवर्ष के लिए दो तारीख़ें लागू होती हैं| पहली तो स्वाधीनता दिवस की और दूसरी गणतंन्त्र दिवस की| स्वाधीनता दिवस के अंक हैं-15-08-1947| यहाँ मूलांक 6, भाग्यांक 8, मासांक 8, वर्षांक 3 और चलित अंक 1-4 है| यहाँ मूलांक 6 व भाग्यांक 8 में शुक्र की भ्रष्ट युति बनती है| गणतंत्र दिवस के अंक हैं-मूलांक 8, भाग्यांक 6, मासांक 1 वर्षांक 6 व चलित अंक 8 (-) है| यहाँ भी मूलांक 8 व भाग्यांक 6 में शुक्र की भ्रष्ट युति बनती है| यह शुक्र की भ्रष्ट युति आर्थिक भ्रष्टाचार का मूल आधार है| इसका अर्थ यह हुआ कि भारत की इन महत्त्वपूर्ण आधारभूत तारीखों के अंकों में यह नियत है कि भारत में आर्थिक भ्रष्टाचार की जड़ें तो गहरी होनी ही हैं| स्वाधीनता दिवस के अंकों में मूलांक-भाग्यांक की 6-8 की युति के साथ मासांक 8 की युति शुक्र की भ्रष्ट अवस्था को बढ़ा देती है| अंक 1 व 4 प्रशासन, सरकार और नेतृत्व के हैं| यहाँ चलित के अंक 1 व 4 की युति सरकार और नेतृत्व के स्तर पर भ्रष्टाचार का परेशानीभरा रूप दर्शाता है| गणतंत्र दिवस के मूलांक-भाग्यांक की 8-6 की युति के साथ चलित अंक 8 व वर्षांक 6 की भ्रष्ट शुक्र की युति के मिल जाने से उस युति का द्वैत हो जाता है, जिससे वह दुगुनी प्रभावी हो जाती है| यहाँ मासांक 1 फिर से वही नेतृत्व और सरकार के स्तर पर भ्रष्टाचार बताती है| तात्पर्य यह हुआ कि भारत में सरकारी स्तर पर आर्थिक भ्रष्टाचार की जड़ें आधार से ही मज़बूत हैं| अब बात करते हैं भारत के नामांक की| संविधान के प्रावधानों के अनुसार भारत को अंकीय गणना में 'INDIA' नाम से काम लेना होगा| इसका अंक बनाता है-6, जिसका वृहदंक बनता है-15| यहाँ अंक 1, 5 व 6 का त्रिकोण नेतृत्व और सरकार के स्तर पर आर्थिक मामलों में ढुलमुलपन,अस्थिरता और पारदर्शिता में कमी बताता है|अंक 15 का यही समन्वय भारत के स्वाधीनता दिवस की दिनांक के मूलांक में है| इसी प्रकार गणतंत्र दिवस के मूलांक के वृहदंक 26 का विश्लेषण किया जाए| अंक 2, 6 व 8 का त्रिकोण साझेदारी, महिला और पार्टी स्तर पर भ्रष्टाचार को बताता है| अब वृहदंक 15 व 26 का संयुक्त विश्लेषण बताता है कि जब-जब इस देश पर महिला या साझेदारी/गठबंधन का शासन रहा है, तब-तब इस देश में अर्थ संबंधी महत्त्वपूर्ण उठापटक हुई है और होगी भी| हाँ, अन्य शुभ या बलिष्ठ अंकों की उपस्थिति में यह उठापटक अच्छी रहती है, जबकि अशुभ या दुर्बल अंकों की उपस्थिति में यह उठापटक आर्थिक भ्रष्टाचार का रूप ले लेती है| अब यह प्रश्न खड़ा होता कि देश पर महिला शासन की बात करें तो इंदिरा गान्धी का भी शासन रहा था, तब तो आज जैसा नहीं हुआ| क्यों? इंदिरा गान्धी के समय भी महत्त्वपूर्ण आर्थिक उठापटक हुई थी| उन्होंने राजाओं के प्रिवीपर्स समाप्त किये थे, तब तगड़ा बवाल उठा था| साथ ही इंदिरा गान्धी ने जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, तब भी बवाल उठा था, मगर ये बवाल उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाए, बल्कि इंदिरा गान्धी इनसे टकराकर और मज़बूत ही हुईं| इसका कारण छुपा है उनके जन्मानकों में| उनके जन्मांक (19 नवम्बर) में तीन अंक 1 के साथ 1 अंक 9 की बलिष्ठ अवस्था है| इसी ने इंदिरा गान्धी को विजेता बनाया| साथ ही एक और बात| इंदिरा गान्धी को आर्थिक उठापटक के झटके इसलिए भी नहीं झेलने पड़े क्योंकि उनकी सरकार साझेदारी/गठबंधन की नहीं थी| अभी की हालत के बारे में यह सच सब जानते हैं कि इस सरकार में प्रधानमंत्री भले ही मनमोहन सिंह हों, वास्तव में इसकी कमान सोनिया गान्धी के ही हाथों में है, साथ ही यह सरकार है भी साझेदारी/गठबंधन की| | इनके यहाँ सहयोग/साझेदारी/गठबंधन/स्त्री के अंक 2 खराब हैं| साथ ही इस स्त्री अंक 2 के साथ अंक 8 की युति छद्म अवस्था बताती है, जो कि इस सरकार पर सोनिया के परोक्ष नियंत्रण को दर्शाती है| इस खराब अंक के कारण ही इस सरकार के अब तक के अधिकतर घोटाले सहयोगी दलों खाते में आये हैं|
अब प्रश्न यह उठता है कि इसका मतलब क्या यह हुआ कि हमारे देश के अंकों में यह भ्रष्ट शुक्र कि युति तो शुरू से मौजूद है, फिर ये बवाल पिछले कुछ वर्षों से ही क्यों उठ रहे हैं? इसका जवाब दो टुकड़ों में है| पहला टुकड़ा| हमारे देश में आर्थिक भ्रष्टाचार को लेकर पिछले कुछ वर्षों में ही बवाल उठ रहे हैं, यह बात बिलकुल ग़लत है| हमारे देश की स्वतंत्रता के कुछ ही समय बाद से ऐसे मामले उठाते रहे हैं| नेहरू काल में फ़िरोज़ गान्धी ने ऐसा ही एक मामला उठा कर नेहरू सरकार की हालत खराब कर दी थी| वह मामला था हरिदास मूंधड़ा का| बाद के वर्षों में हर्षद मेहता, अब्दुल करीम तेलगी, नीरा राडिया, ए. राजा, कनिमोझी, सुरेश कलमाड़ी और दयानिधि मारन जितने भी नाम आर्थिक भ्रष्टाचार और घोटालों के सिलसिले में सामने आये हैं, सब के अंकों में अंक 6 व अंक 8 की युति यानि भ्रष्ट शक्र की युति है|
जहाँ तक अभी का सवाल है तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खुद के यहाँ वृहदंक 26 वाला मूलांक 8 है, जिसमे गणतंत्र दिवस के अंकों वाली युतियाँ ही हैं| इस कारण मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ये मामले बहुत बड़े रूप में सामने आ रहे हैं| इन अंकों की यह अवस्था वर्ष 2011 और 2012 में ज्यादा हो गयी है| इसका कारण यह है कि वर्ष 2011 का अंक बनता है 4 और भारत का आयु अंक 1-2 था, जबकि वर्ष 2012 का अंक 5 और भारत का अंक 2-3 है| स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के अंकों के साथ ये अंक भ्रष्ट शुक्र की तीव्रता प्रबल कर देते हैं|
वर्ष 2013 अंक 6 वाला वर्ष है| यह अंक भारत के अंकों की भ्रष्ट शुक्र की युतियों के साथ मिल कर फिर से उबाल पैदा करेगा| तब एक बार फिर से आर्थिक भ्रष्टाचार से सम्बन्धित मामले और जोर से उछालेंगे, जिन्हें संभाल पाना इस सरकार के लिए बहुत कठिन हो जाएगा|
राहत कब?
वैसे तो यह सामान्य कथन है कि सदाचार और भ्रष्टाचार हर युग में रहे हैं और रहेंगे भी| दोनों में कोई कभी समाप्त नहीं होगा\ बात मात्रा या प्रतिशत की है| अतः हमारी जिज्ञासा इस बात में होनी चाहिए कि इस भ्रष्टाचार का प्रतिशत इतना कम कब होगा कि जिसे हम राहत कह सकें? यहाँ हम मूलांक-भाग्यांक विधि काम लेते हैं| भारत के स्वाधीनता दिवस के मूलांक 6 और भाग्यांक 8 की युति से अंक बनता है-68| भारत की स्वतंत्रता से यह वर्ष आता है 15-08-2014 से 14-08-2015| इसी प्रकार इन्हीं अंकों की प्रतिरूप अवस्था बनाएँ या फिर गणतंत्र दिवस के मूलांक 8 व भाग्यांक 6 की युति से बनाएँ तो यह बनता है-86| यह समय है 15-08-2032 से 14-08-2033| इस प्रकार यह वह अवधि है, जब देश को आर्थिक भ्रष्टाचार से राहत मिलेगी| हाँ, एक बात और| जब यह समयावधि आरम्भ होगी, तब भ्रश शुक्र वाले मनमोहन सिंह सरकार के मुखिया पद पर नहीं होंगे|
मित्रो, बात बहुत लम्बी हो गयी है| अब विराम लेते हैं| ......... आज के आनंद की जय| ............. जय श्री राम|
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