जय श्री राम .......... आदरणीय मित्रो, कई दिनों
के अन्तराल के बाद आपसे आज बात हो रही है| एक महीना और नौ दिन हो गये| आज की बात
उसी सन्दर्भ में है, जिस सन्दर्भ में यहाँ पिछली बात की थी; यानि बिहार विधान सभा
के इस बार चुनाव| हम तो अपनी 'कृपात्रयी' (प.पू. गुरुदेव देवरहा बाबा, माँ
बगलामुखी और घोटेवाले) की कृपा से ही समस्त भविष्यवाणियाँ करते हैं|
हमने अपनी
पिछली पोस्ट 'बिहार विधान सभा चुनाव-2015 : भाग-1 : किसकी सरकार?' में विस्तार से विश्लेषण करते
हुए सीटों की संख्या की बात की थी और 'बिहार विधान सभा चुनाव-2015 : भाग-2 : सीटवार आकलन' में सीटवार भविष्यवाणी की थी|
ये दोनों ही बातें सही नहीं ठहरीं| इन में यह बात अवश्य सही ठहरी कि 'अन्य' के
खाते में हमने 07 सीटें बतायी थीं, और उन्हें इतनी ही सीटें
मिलीं| मगर यह बात हमें लेशमात्र भी सन्तुष्टि नहीं देती है| यहाँ हम यह भी नहीं
कहेंगे कि इक्के-दुक्के को छोड़ कर सभी सर्वे या एग्ज़िट पोल भी ग़लत हो गये, क्योंकि
ऐसा करना अपनी विफलता की क्रूर सच्चाई से मुँह चुराना होगा| हाँ, यह अवश्य कहेंगे
कि सार्वजनिक रूप से किसी भी ज्योतिषी ने 'इन चुनाव-परिणामों' की भविष्यवाणी नहीं
की थी| अब कोई ज्योतिषी 'किसी खाँचे या कोने' से निकल कर आ जाए और कोई दावा करे तो
बात दूसरी है क्योंकि ज्योतिष की दुनिया में ऐसा भी होता है|
अब आगे अपनी उक्त भविष्यवाणी का विश्लेषण करने
से पहले अगर आपको स्मरण नहीं हो तो हम करा दें कि हमने एन डी ए को 139, महागठबंधन को 97 और अन्य को 07 सीटें दी थीं|
एक बात का आपको शायद पता नहीं होगा कि हमें अंक ज्योतिष सिखाने वाला कोई नहीं
मिला था| यह स्वाध्याय का परिणाम है| ऐसे में भला 'सीटवार' रूप में चुनावी
भविष्यवाणी करना; यह तो नितान्त हमारा अपना ही आविष्कार है| हम अपने स्तर पर हर
बार की भविष्यवाणी से अपनी विधि में संशोधन-परिवर्द्धन करते रहते हैं और अगली
भविष्यवाणी में उसे प्रयुक्त करते रहते हैं| इसी प्रकार हमारा 'सीखना' और 'विधियाँ प्रतिस्थापित करना' निरन्तर चलता रहता है| हम अपने ब्लॉगों समेत सभी सार्वजनिक मंचों पर ये
भविष्यवाणियाँ प्रस्तुत करते रहते हैं; साथ ही परिणाम आने के बाद इनके सही या ग़लत
ठहरने का विश्लेषण भी| ऐसा करते समय हम अपनी निन्दा या आलोचना से तनिक भी घबराते
या विचलित नहीं होते हैं क्योंकि अगर आलोचना या निन्दा से घबराएँगे तो आगे बढ़ना
कैसे होगा? आज भी 'सीटवार भविष्यवाणी करने का' यह श्रेय दुनिया भर में हमारे ही
पास है| हमारे लिए यह गौरव और गर्व का विषय है कि जिसके माध्यम से हम भारतीय परा
विद्याओं का मान रखे हुए हैं|
अब करते हैं एक अत्यन्त अद्भुत बात| इससे आपको
यह पता चलेगा कि अंक ज्योतिष में सिर्फ़ कुछ तारीख़ें बदल जाने या ग़लत हो जाने से
गणनाओं के परिणाम में कितना अधिक अन्तर आ जाता है| हम अपने ब्लॉगों पर 'आज की हस्ती'
नाम से प्रतिदिन कुछ 'सेलिब्रिटी' के अगले एक वर्ष के लिए तीन भविष्यवाणियाँ करते
हैं (समूचे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ऐसा करने वाले सम्भवतः हमारे ये दो ब्लॉग ही
हैं)| हमने समय-समय पर विभिन्न राजनीतिक दलों और व्यक्तियों के बारे में जो
भविष्यवाणियाँ कीं, वे और बिहार विधान सभा के इन चुनावों की सीटवार व सीटों की
संख्या वाली हमारी भविष्यवाणी परस्पर विपरीत निकली| इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है
कि हम इस रास्ते से अपने बचाव की कोई 'पतली गली' निकाल रहे हैं| देखिए, जब हम किसी
एक व्यक्ति, दल या राज्य की गणना करते हैं तो 'किसी अन्य' के अंक उस में सम्बद्ध
नहीं होते हैं, किन्तु जब किसी गठबन्धन या मोर्चे के लिए गणना करते हैं तो उसके
सभी सदस्यों के अंक परस्पर गहरे रूप में प्रभावित करते हैं|
आइए, आगे बात करने से पहले इन 'वैयक्तिक भविष्यवाणियों' को देख लेते हैं-
जनता दल (यूनाइटेड) ब्लॉग पर:-13-11-2014, गुरुवार
# "चुनावों में प्रदर्शन अच्छा रह सकता है|"
लोक जनशक्ति पार्टी ब्लॉग:-17-11-2014, सोमवार
# "विधान सभा चुनावों में प्रदर्शन अपेक्षित रूप से ख़राब रह सकता
है|"
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ब्लॉग:-12-01-2015, सोमवार
# "गठबन्धन कर चुनावी लड़ाई में अपेक्षाकृत ठीक स्थिति रह सकती है|"
नीतीश कुमार ब्लॉग:-04-03-2015, बुधवार
# "विधान सभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन ठीक रह सकता है|"
राजीव प्रताप रूडी ब्लॉग:-06-03-2015, शुक्रवार
# "विधान सभा चुनाव के बाद बिहार के मुख्यमन्त्री नहीं बन पाएँगे|"
लालू प्रसाद यादव ब्लॉग:-06-09-2015
# "विधान सभा चुनाव में दल का प्रदर्शन अच्छा रह सकता है|"
# "विधान सभा चुनाव में परिजनों को सफलता मिल सकती है|"
राबड़ी देवी ब्लॉग:-06-09-2015, रविवार
# "विधान सभा चुनाव में सन्तान-पक्ष विजयी रह सकता है|"
राष्ट्रीय जनता दल ब्लॉग:-10-09-2015, गुरुवार
# "आसन्न बिहार विधान सभा चुनाव में प्रदर्शन ठीक रह सकता है|"
# "सत्ता में भागीदारी मिल सकती है|"
राहुल गांधी ब्लॉग:-06-09-2015
# "गठबन्धन की राजनीति करेंगे तो लाभ मिल सकता है|"
रामविलास पासवान ब्लॉग:-10-09-2015, गुरुवार
# "आसन्न बिहार विधान सभा चुनाव में प्रदर्शन फीका रह सकता है|"
उक्त ब्लॉग पोस्टों के अलावा अब एक नज़र इस अद्भुत बात पर भी डाल लेते हैं| यह
बात है बिहार विधान सभा के वर्ष 2010 के चुनाव की| यह भविष्यवाणी दिनांक 30-09-2010 से 07-10-2010 के बीच हमारे ब्लॉगों पर आठ भागों में प्रकाशित
हुई थी| इसके अलावा यही भविष्यवाणी हमारे सम्पादन में प्रकशित होने वाले अंक
ज्योतिष और बॉडी लैंग्वेज पर आधारित एकमात्र अख़बार 'अंक प्रभा' के नवम्बर, 2010 के अंक (यह इस अख़बार का 'श्रीगणेश अंक' था) में भी प्रकाशित हुई थी| इसके कुछ
अंश देखिए,
जनता दल (यू)---"........ मगर यह भी बहुत बड़ा सच है कि नीतीश के अंक ऐसे हैं कि बिना
साझेदारों के इनका काम चल भी नहीं सकता|"
इसी भविष्यवाणी के बिलकुल अन्त में
'मुख्यमन्त्री कौन?' शीर्षक के अन्तर्गत-
"हाँ, ये (लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान आदि नीतीश के समकालीन)
सत्ता में भागीदारी पा सकते हैं, मगर तब ही कि जब भाजपा या जद (यू) के साथ आ
जाएँ|"
आप देख लीजिए कि इस बार के चुनाव-परिणामों के
बारे में संकेत तो हमने वर्ष 2010 के चुनावों के समय ही पर्याप्त रूप से दे दिये
थे|
अब एक बात यह भी| हमने अपने अख़बार 'अंक प्रभा'
में बिहार विधान सभा के वर्ष 2010 के चुनावों की प्रकाशित उक्त भविष्यवाणी देश के
लगभग 1000 राजनेताओं, मीडिया वालों व अन्य प्रमुख लोगों
को भेजी थी| इसके साथ हमने जो पत्र भेजा था, उस के पाँचवें पैरे की ग्यारहवीं
पंक्ति से स्पष्ट रूप से लिखा था-"......... हमने लालू प्रसाद यादव के लिए
सत्ता-सुख की मनाही वर्ष 2014 तक कही है, वर्ष 2015 के लिए नहीं| इसलिए इस विधान सभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव यानि उनकी
पार्टी सत्ता में भागिदार हो जाए तो अचम्भा नहीं है|"
अब बताइए कि इससे अधिक स्पष्ट और क्या कहा जाए| ... मगर अब एक नितान्त उपयुक्त
प्रश्न यह उठ खड़ा होता है कि अगर हमने इन ब्लॉग पोस्टों की गणनाओं के समय ही यह
भांप लिया था कि इस बार नीतीश कुमार व लालू प्रसाद यादव का खेमा सत्ता प्राप्त
करने जा रहा है तो फिर अन्तिम रूप में सीटवार भविष्यवाणी के समय हमने एन डी ए को
क्यों जितवाया? क्या ऐसा 'माहौल' से प्रभावित होकर किया गया था? हमारा कोई आलोचक
या निन्दक एन डी ए के लिए 'हमारे पक्षपाती' होने का आक्षेप भी लगा सकता है| ...
मगर सौ बातों की एक बात कि इसका जवाब क्या है? आख़िर इसके पीछे के वे कौनसे कारण
रहे?
हमने पहले ही कहा था कि जब किसी दल, राजनेता या राज्य की 'वैयक्तिक गणना' करते
हैं, तब मात्र उसी के अंक काम आते हैं; किन्तु गठबन्धन या मोर्चे की गणना करते समय
ऐसा नहीं होता है| तब गणनीय गठबन्धन के सभी सदस्य दलों व उनके मुखिया व्यक्तियों
के अंक पारस्परिक रूप से प्रभावकारी दशा में रहते हैं| अनुकूलता की स्थिति में ये
साथी को 'निहाल' कर देते हैं, और प्रतिकूल होने की स्थिति में साथी को 'बेहाल' कर
देते हैं| तो आइए, अब देख लेते हैं वे कारण भी---
1. हमने सीटवार भविष्यवाणी के भाग 01 में बिहार राज्य के मूलांक, भाग्यांक, आयु-अंक,
चलित अंक व नामांक को काम
नहीं लिया| सिर्फ़ मतगणना के ही अंक काम लिये थे| यह
एक प्रयोग किया गया था, जो कि
नितान्त असफल रहा| अब से पहले तक की सीटवार
गणनाओं में सम्बन्धित राज्य के मूलांक,
भाग्यांक, आयु-अंक, चलित अंक व नामांक को काम
लिया गया था, और उसका परिणाम भी सटीक
रहे|
2. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष
के अंक काम नहीं लिए गये|
3. शरद यादव की दो जन्म-दिनांक हैं| एक में
मूलांक 01 है तो दूसरी में 02 है| हमने मूलांक 01
वाली काम ली| बहुत संभव है कि यह सही नहीं हो|
4. जीतन राम मांझी की जन्म-दिनांक सम्भवतः
अविश्वसनीय है|
5. लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पशुपति
कुमार पारस, राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेशाध्यक्ष डॉ.
रामचन्द्र पुर्वे तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के
प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार चौधरी के जन्मांक
उपलब्ध नहीं थे| हमने इनके सिर्फ़ नामांक ही काम लिये थे|
6. भाजपा के बिहार विधान सभा चुनाव प्रभारी भूपेन्द्र यादव व धर्मेन्द्र प्रधान के अंक हमने
बिलकुल भी काम नहीं लिये, जबकि हमें ऐसा करना चाहिए था क्योंकि प्रभारी होने के नाते
इनके अंकों की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण रहनी थी| यही बात कांग्रेस के प्रभारी डॉ. सी. पी. जोशी
के बारे में कही जा सकती है|
6. भाजपा के बिहार विधान सभा चुनाव प्रभारी भूपेन्द्र यादव व धर्मेन्द्र प्रधान के अंक हमने
बिलकुल भी काम नहीं लिये, जबकि हमें ऐसा करना चाहिए था क्योंकि प्रभारी होने के नाते
इनके अंकों की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण रहनी थी| यही बात कांग्रेस के प्रभारी डॉ. सी. पी. जोशी
के बारे में कही जा सकती है|
उक्त अंकों के साथ हमने कुल आठ चक्रों में गणना की थी, जिन में से सात चक्रों
में एन डी ए की बढ़त आ रही थी| इसमें हमारा 'विशुद्ध गणनाधारित कर्त्तव्य' तो यही
था कि हम इसी परिणाम को आपके साथ रखते, और हमने यही किया| ........ तो अब आप देख
चुके हैं न कि 'सीटवार भविष्यवाणी' के ग़लत ठहरने के मुख्य कारण क्या हैं? अगर यह
गणना गठबन्धन की न कर सभी दलों की अलग-अलग की जाती तो सम्भवतः यह भविष्यवाणी
'वैयक्तिक भविष्यवाणियों' की तरह ही सही ठहरती| वर्ष 2014 के महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और झारखण्ड के विधान सभा चुनाव में
हमने दलगत रूप में ही गणना की थी और उसका परिणाम भी सटीक रहा था|
चुनावी भविष्यवाणियों का हमारा ट्रेक रिकॉर्ड
आप किसी खिलाड़ी का आकलन एक-दो मैचों के आधार पर करेंगे यह उसके समग्र प्रदर्शन
पर? जाहिर है कि कोई भी समझदार आदमी समग्र प्रदर्शन के आधार पर ही किसी खिलाड़ी का
आकलन करेगा| हम मात्र 32 वर्ष की आयु से वर्ष 2003 से राजनीतिक भविष्यवाणियाँ करते आ रहे हैं|
अब तक हम ये भविष्यवाणियाँ कर
चुके हैं-
1. वर्ष 2003---राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व दिल्ली विधान
सभा चुनाव
2. वर्ष 2004---लोकसभा चुनाव; अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव;
बीकानेर (तत्कालीन) नगर परिषद् चुनाव 3. वर्ष 2005---बिहार (मार्च), बिहार (नवम्बर), हरियाणा,
झारखण्ड विधान सभा चुनाव
4. वर्ष 2007---गुजरात विधान सभा चुनाव
5. वर्ष 2008---राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व दिल्ली
विधान सभा चुनाव
6. वर्ष 2009---लोक सभा चुनाव; हरियाणा, महाराष्ट्र, अरुणाचल
प्रदेश, झारखण्ड विधान सभा
चुनाव; राजस्थान शहरी निकाय चुनाव; राजस्थान पंचायत चुनाव
7. वर्ष 2010---बिहार विधान सभा चुनाव
8. वर्ष 2011---तमिलनाडु, पुड्डूचेरी, केरल, असम व पश्चिम
बंगाल विधान सभा चुनाव
9. वर्ष 2012---उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश,
गुजरात, मणिपुर, पंजाब, गोवा विधान
सभा चुनाव; अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव
10. वर्ष 2013--- राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व दिल्ली
विधान सभा चुनाव
11. वर्ष 2014---लोक सभा चुनाव; हरियाणा, जम्मू-कश्मीर,
महाराष्ट्र व झारखण्ड विधान सभा चुनाव
12. वर्ष 2015---दिल्ली व बिहार विधान सभा चुनाव
इस तरह विगत 13 वर्षों में हमने अब तक कुल 49 चुनावी भविष्यवाणियाँ की हैं| इन में से वर्ष 2003 की दिल्ली विधान सभा चुनाव; वर्ष 2004
की लोक सभा चुनाव; वर्ष 2008 की राजस्थान व दिल्ली विधान सभा चुनाव; वर्ष 2009 की लोक सभा चुनाव; वर्ष 2012 की उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव और वर्ष 2015 की दिल्ली व बिहार विधान सभा चुनाव की यानि मात्र 10 भविष्यवाणियाँ ग़लत रही हैं और 39 सही ठहरी हैं|
इसी प्रकार उक्त चुनावी
भविष्यवाणियों में से हमने ये भविष्यवाणियाँ 'सीटवार' कीं, यानि इस रूप में कि
'किस सीट पर कौनसा दल जीतेगा'| ऐसा करने वाले हम देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के भी
इकलौते ज्योतिषी थे और हैं|
तो आइए, ज़रा पहले एक नज़र डाल लीजिए इन 'सीटवार' भविष्यवाणियों
के विवरण पर भी---
1. वर्ष 2003---राजस्थान विधान सभा चुनाव
2. वर्ष 2004---लोक सभा चुनाव के लिए राजस्थान की सभी 25 सीटें; बीकानेर (तत्कालीन) नगर
परिषद् के (तत्कालीन) सभी 50 वार्ड
3. वर्ष 2007---गुजरात विधान सभा चुनाव
4. वर्ष 2008---राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व दिल्ली
विधान सभा चुनाव
5. वर्ष 2012---गुजरात व हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव
6. वर्ष 2013--- राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व दिल्ली
विधान सभा चुनाव
7. वर्ष 2014---लोक सभा चुनाव
8.. वर्ष 2015---बिहार विधान सभा चुनाव
इस तरह हमने 'सीटवार' रूप में
अब तक कुल 16 भविष्यवाणियाँ की हैं| इन में से वर्ष 2008 की दिल्ली, वर्ष 2012 की हिमाचल प्रदेश और इस वर्ष की बिहार विधान
सभा चुनाव की यानि मात्र 03 ही भविष्यवाणियाँ ग़लत ठहरी हैं| ये तो उन
भविष्यवाणियों का विवरण है कि जो 'ON THE
RECORD' सुरक्षित हैं| राजनेताओं और पत्रकारों के समक्ष की गयी व्यक्तिगत
भविष्यवाणियाँ इन में शामिल नहीं हैं; जैसे कि कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, ओडिशा,
तेलंगाना राज्य के विधान सभा चुनाव की, आदि-आदि| अब आप ही निर्णय कर लीजिए कि इस
मामले में हमारा उक्त ट्रेक रिकॉर्ड आपके मन में कितना विश्वास बना पाता है? क्योंकि
यह बात तो निश्चित है कि अपने ज्योतिषीय, राष्ट्रीय व सामाजिक कर्त्तव्य के रूप
में चुनावी भविष्यवाणियों का यह क्रम जारी रखेंगे| किसी भविष्यवाणी के ग़लत ठहरने
से यह बन्द कर देना तो ज्योतिष, समाज व राष्ट्र के प्रति घोर कृतघ्नता होगी, जो कि
हम बिलकुल नहीं कर सकते| हम तो अपना यह कर्त्तव्य निरन्तर निभाते रहेंगे, शेष
हमारी 'कृपात्रयी' (प.पू. गुरुदेव देवरहा बाबा, माँ बगलामुखी और घोटेवाले) सम्भालेगी
क्योंकि 'बछड़ा तो खूंटे के बल पर ही कूदता है'|
आज बस, इतना ही| ......... आज के आनन्द की जय| ........... जय श्री राम|
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