जय श्री राम ............| आदरणीय मित्रो, विश्व के सबसे लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व यानि हमारे देश में आम चुनाव का क्रम आरम्भ हो चुका है| सब की आँखें इस ओर लगी है कि किस दल या गठबंधन की सरकार बनेगी? प्रधानमंत्री कौन बनेगा? वैसे तो 21-22-23 दिसंबर, 2012 को जालंधर में 'अखिल भारतीय सरस्वती ज्योतिष मंच' की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मलेन में अपने व्याख्यान में यह कह चुके हैं| साथ ही दिनांक 15 जनवरी, 2013 को अपने ब्लॉगों पर यहीं आपकी सेवा में भी सात भागों की शृंखला में यह बात रख चुके हैं| अब यह बात और विस्तृत कलेवर में आपकी सेवा में रख रहे हैं| आज इसके भाग-1 में हमारे देश का अंकीय विश्लेषण प्रस्तुत है| यह विश्लेषण दैनिक 'पंजाब केसरी' की वेबसाइट www.punjabkesri.in पर दिनांक 15 फरवरी, 2014 को प्रकाशित हो चुका है|
स्वाधीनता-दिनांक:-15-08-1947
मूलांक:-6 भाग्यांक:-8 आयु अंक:-4 (67 वाँ वर्ष) नामांक:-6 (INDIA से 3) स्वाधीनता का चलित अंक:-1, 4 चलित दशा:-अंक 3 (वर्ष 2013 तक)
भारत की सूर्य राशि सिंह है| भारत के मूलांक-भाग्यांक में अंक 6 व अंक 8 की भ्रष्ट शुक्र की युति है| अंक 6 व अंक 8 में समभाव सम्बन्ध है| यहाँ भाग्यांक 8 का वृहदंक बनाता है-35| अंक 3 व अंक 5 में परस्पर प्रबल विरोधी भाव है| यहाँ अंक 3, अंक 5 व अंक 8 के त्रिकोण में अंक 3 व अंक 8 में मित्रता भाव है और अंक 5 व अंक 8 में परस्पर विरोधी भाव है| यह युति अस्थिरता की है| अंक 8 लोकतंत्र का है| अतः इस बार के लोकसभा चुनाव के बाद अस्थिर राजनीतिक स्थिति देखने को मिल सकती है| इसका तात्पर्य यह है कि न सिर्फ़ त्रिशंकु लोकसभा देखने को मिल सकती है, बल्कि सरकार बनाने को लेकर भी विचित्र या खींचातानी की स्थिति बन सकती है| चुनावी वर्ष का अंक 7 है| यह स्त्री अंक है, जो कि साझेदारी, गठबंधन, तालमेल, सहयोग और स्त्री का प्रतीक है| अंक 3, अंक 5 व अंक 8 के साथ इस अंक 7 की युति यह बताती है कि लोकसभा चुनाव के सन्दर्भ में यानि चुनावों से पहले और (विशेषकर) बाद में राजनीतिक दलों में गठबंधन, साझेदारी, तालमेल व सहयोग को लेकर विचित्र स्थितियाँ बन सकती हैं| ये स्थितियाँ रोचक होने के साथ आज के परिदृश्य के दृष्टिकोण से आश्चर्यजनक भी हो सकती हैं यानि ऐसे-ऐसे दल भी साथ आ सकते हैं कि अभी जिनका साथ आना असम्भव या आश्चर्यजनक माना जा रहा है| साथ ही स्त्री अंक 7 की उक्त अंकों के साथ युति यह भी बताती है कि इन चुनावों के बाद अगली सरकार के गठन में किसी स्त्री राजनेता (या स्त्री अंक वाले पुरुष राजनेता) की भूमिका बहुत ख़ास रह सकती है| बहुत सम्भव है कि वह ख़ुद प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में आ जाए, या फिर उसी की राय, सुझाव, सहमति, प्रस्ताव या समर्थन से देश को अगला प्रधानमंत्री मिले| देश के आयु अंक 4 की चुनावी वर्षांक 7 के साथ युति भी यह दर्शाती है कि अगली सरकार की पितृ भूमिका में कोई स्त्री राजनेता (या स्त्री अंक वाले पुरुष) का प्रभुत्व रहना है| यहाँ इस बात को दो भागों में बाँट लें तो अधिक सरलता से समझा जा सकता है| पहली तो यह कि स्त्री राजनेता के अंतिम रूप से समर्थन या सहमति से ही प्रधानमंत्री बनना तय हो और दूसरी यह कि निर्णायक दौर में प्रधानमंत्री का नाम तय करने में स्त्री अंक वाले पुरुष राजनेता या स्त्री राजनेता की भूमिका प्रधान हो जाए|
भारत के मूलांक 6 और आयु अंक 4 में विरोधी युति बनती है| यह पितृ सुख भंग की युति है| इसका मतलब यह है कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद देश का पितृ पुरुष यानि प्रधानमंत्री दु:खी/पीड़ित रहेगा| उसे ढंग से शासन करने को नहीं मिलेगा और वह अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सकेगा| स्त्री अंकों की प्रधानता के कारण वह साथ/सहयोग/गठबंधन के दलों के कारण परेशान रहेगा| देश का आयु अंक 4 इसके भाग्यांक 8 के साथ प्रबल विरोधी युति बनता है| यह विखंडन युति है, जो कि देश की पितृ अवस्था के लिए बहुत हानिकारक है| यह युति नेतृत्व के विरुद्ध जाती है| यह प्रतिकूलता तीन तरह की होती है- (1) व्यक्तिपरक, (2) दलपरक और (3) समूहपरक| व्यक्तिपरक का तात्पर्य सरकार के नेता यानि प्रधानमंत्री से है; दलपरक से तात्पर्य शासक दल से है; और समूहपरक से तात्पर्य शासक गठबंधन से है| अगले लोकसभा चुनाव के बाद ये तीनों ही प्रतिकूलताएँ अपने प्रतिफलित रूप में होंगी यानि देश के प्रधानमंत्री 'डॉ. मनमोहन सिंह' नहीं होंगे; शासक दल 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' नहीं होगा और शासक गठबंधन 'यूपीए' नहीं होगा| इसका तात्पर्य यह हुआ कि अगली बार ग़ैर यूपीए सरकार आएगी|
एक ख़ास बात की तरफ़ बराबर ध्यान रखना होगा और वह यह कि देश का अगला प्रधानमन्त्री जो भी होगा, उसके यहाँ अंक 5, 6 व 8 की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी| इतना ही बल्कि प्रधानमंत्री तय करने में निर्णायक लोगों के यहाँ भी अंक 5, अंक 6 व अंक 8 की भूमिका विशिष्ट रहेगी| साथ ही स्त्री अंक 2 भी प्रमुखता से रह सकता है| जब देश को इसके मूलांक 6 व भाग्यांक 8 की युति का वर्ष यानि 68 वाँ वर्ष चल रहा होगा, तब तत्कालीन सरकार को ख़तरा होगा| इस वर्ष सरकार नहीं गिरी तो जब देश को स्वाधीनता का 69 वाँ वर्ष चल रहा होगा, तब दो परस्पर विरोधी अंक (6 व 9) साथ होंगे| इनकी युति राजनितिक अस्थिरता को जन्म/बढ़ावा दे सकती है| तब तत्कालीन सरकार गिर सकती है| कहने का मतलब यह है कि इन लोकसभा चुनावों के बाद बनी सरकार अपनी उम्र के 13 वें महीने से 26 वें महीने में गिर सकती है यानि वर्ष 2015 के उत्तरार्द्ध से वर्ष 2016 में देश को मध्यावधि चुनाव झेलने पड़ सकते हैं|
कल इसके भाग-2 में बात करेंगे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की| तब तक के लिए आज्ञा दीजिए| ......... आज के आनंद की जय| ............ जय श्री राम|
स्वाधीनता-दिनांक:-15-08-1947
मूलांक:-6 भाग्यांक:-8 आयु अंक:-4 (67 वाँ वर्ष) नामांक:-6 (INDIA से 3) स्वाधीनता का चलित अंक:-1, 4 चलित दशा:-अंक 3 (वर्ष 2013 तक)
भारत की सूर्य राशि सिंह है| भारत के मूलांक-भाग्यांक में अंक 6 व अंक 8 की भ्रष्ट शुक्र की युति है| अंक 6 व अंक 8 में समभाव सम्बन्ध है| यहाँ भाग्यांक 8 का वृहदंक बनाता है-35| अंक 3 व अंक 5 में परस्पर प्रबल विरोधी भाव है| यहाँ अंक 3, अंक 5 व अंक 8 के त्रिकोण में अंक 3 व अंक 8 में मित्रता भाव है और अंक 5 व अंक 8 में परस्पर विरोधी भाव है| यह युति अस्थिरता की है| अंक 8 लोकतंत्र का है| अतः इस बार के लोकसभा चुनाव के बाद अस्थिर राजनीतिक स्थिति देखने को मिल सकती है| इसका तात्पर्य यह है कि न सिर्फ़ त्रिशंकु लोकसभा देखने को मिल सकती है, बल्कि सरकार बनाने को लेकर भी विचित्र या खींचातानी की स्थिति बन सकती है| चुनावी वर्ष का अंक 7 है| यह स्त्री अंक है, जो कि साझेदारी, गठबंधन, तालमेल, सहयोग और स्त्री का प्रतीक है| अंक 3, अंक 5 व अंक 8 के साथ इस अंक 7 की युति यह बताती है कि लोकसभा चुनाव के सन्दर्भ में यानि चुनावों से पहले और (विशेषकर) बाद में राजनीतिक दलों में गठबंधन, साझेदारी, तालमेल व सहयोग को लेकर विचित्र स्थितियाँ बन सकती हैं| ये स्थितियाँ रोचक होने के साथ आज के परिदृश्य के दृष्टिकोण से आश्चर्यजनक भी हो सकती हैं यानि ऐसे-ऐसे दल भी साथ आ सकते हैं कि अभी जिनका साथ आना असम्भव या आश्चर्यजनक माना जा रहा है| साथ ही स्त्री अंक 7 की उक्त अंकों के साथ युति यह भी बताती है कि इन चुनावों के बाद अगली सरकार के गठन में किसी स्त्री राजनेता (या स्त्री अंक वाले पुरुष राजनेता) की भूमिका बहुत ख़ास रह सकती है| बहुत सम्भव है कि वह ख़ुद प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में आ जाए, या फिर उसी की राय, सुझाव, सहमति, प्रस्ताव या समर्थन से देश को अगला प्रधानमंत्री मिले| देश के आयु अंक 4 की चुनावी वर्षांक 7 के साथ युति भी यह दर्शाती है कि अगली सरकार की पितृ भूमिका में कोई स्त्री राजनेता (या स्त्री अंक वाले पुरुष) का प्रभुत्व रहना है| यहाँ इस बात को दो भागों में बाँट लें तो अधिक सरलता से समझा जा सकता है| पहली तो यह कि स्त्री राजनेता के अंतिम रूप से समर्थन या सहमति से ही प्रधानमंत्री बनना तय हो और दूसरी यह कि निर्णायक दौर में प्रधानमंत्री का नाम तय करने में स्त्री अंक वाले पुरुष राजनेता या स्त्री राजनेता की भूमिका प्रधान हो जाए|
भारत के मूलांक 6 और आयु अंक 4 में विरोधी युति बनती है| यह पितृ सुख भंग की युति है| इसका मतलब यह है कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद देश का पितृ पुरुष यानि प्रधानमंत्री दु:खी/पीड़ित रहेगा| उसे ढंग से शासन करने को नहीं मिलेगा और वह अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सकेगा| स्त्री अंकों की प्रधानता के कारण वह साथ/सहयोग/गठबंधन के दलों के कारण परेशान रहेगा| देश का आयु अंक 4 इसके भाग्यांक 8 के साथ प्रबल विरोधी युति बनता है| यह विखंडन युति है, जो कि देश की पितृ अवस्था के लिए बहुत हानिकारक है| यह युति नेतृत्व के विरुद्ध जाती है| यह प्रतिकूलता तीन तरह की होती है- (1) व्यक्तिपरक, (2) दलपरक और (3) समूहपरक| व्यक्तिपरक का तात्पर्य सरकार के नेता यानि प्रधानमंत्री से है; दलपरक से तात्पर्य शासक दल से है; और समूहपरक से तात्पर्य शासक गठबंधन से है| अगले लोकसभा चुनाव के बाद ये तीनों ही प्रतिकूलताएँ अपने प्रतिफलित रूप में होंगी यानि देश के प्रधानमंत्री 'डॉ. मनमोहन सिंह' नहीं होंगे; शासक दल 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' नहीं होगा और शासक गठबंधन 'यूपीए' नहीं होगा| इसका तात्पर्य यह हुआ कि अगली बार ग़ैर यूपीए सरकार आएगी|
एक ख़ास बात की तरफ़ बराबर ध्यान रखना होगा और वह यह कि देश का अगला प्रधानमन्त्री जो भी होगा, उसके यहाँ अंक 5, 6 व 8 की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी| इतना ही बल्कि प्रधानमंत्री तय करने में निर्णायक लोगों के यहाँ भी अंक 5, अंक 6 व अंक 8 की भूमिका विशिष्ट रहेगी| साथ ही स्त्री अंक 2 भी प्रमुखता से रह सकता है| जब देश को इसके मूलांक 6 व भाग्यांक 8 की युति का वर्ष यानि 68 वाँ वर्ष चल रहा होगा, तब तत्कालीन सरकार को ख़तरा होगा| इस वर्ष सरकार नहीं गिरी तो जब देश को स्वाधीनता का 69 वाँ वर्ष चल रहा होगा, तब दो परस्पर विरोधी अंक (6 व 9) साथ होंगे| इनकी युति राजनितिक अस्थिरता को जन्म/बढ़ावा दे सकती है| तब तत्कालीन सरकार गिर सकती है| कहने का मतलब यह है कि इन लोकसभा चुनावों के बाद बनी सरकार अपनी उम्र के 13 वें महीने से 26 वें महीने में गिर सकती है यानि वर्ष 2015 के उत्तरार्द्ध से वर्ष 2016 में देश को मध्यावधि चुनाव झेलने पड़ सकते हैं|
कल इसके भाग-2 में बात करेंगे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की| तब तक के लिए आज्ञा दीजिए| ......... आज के आनंद की जय| ............ जय श्री राम|
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