अंक ज्योतिषी, अंग ज्योतिषी, राजनीतिक विश्लेषक-सलाहकार, नाटककार, शायर, अकादमिक, सम्प्रेरक वक्ता

शुक्रवार, 23 मार्च 2012

पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव-परिणाम और हमारी भविष्यवाणी


जय श्री राम ............| आदरणीय मित्रो, पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव-परिणाम आ चुके हैं| अब सारी तस्वीर साफ़ हो चुकी है| हमारी 'कृपात्रयी' (प.पू. गुरुदेव देवरहा बाबा, माँ बगलामुखी और घोटेवाले) की कृपा से इस बारे में हमारी भविष्यवाणी बहुत हद तक सही रही| इस में जहाँ पंजाब के मामले में हम चमत्कारिक हद तक सही रहे, तो उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में सरकार बनाने के मामले में ग़लत रहे| गोवा और मणिपुर के मामले में हम सौ फ़ीसदी सही रहे|

पंजाब : चमत्कारिक व ऐतिहासिक सफलता  
इस राज्य के बारे में हमारे भविष्यवाणी जिस तरह सत्य सिद्ध हुई है, उसे तो चमत्कार ही की श्रेणी में रखा जा सकता है| वर्ष 1965 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि जब पंजाब में किसी दल की सरकार दोहरायी गयी है| प्रकट रूप में इतने विस्तार से यह भविष्यवाणी करने वाले हम संभवतः इकलौते ज्योतिषी थे| हमने इस बारे में सबसे पहले दिसंबर,2010 में जालंधर में श्री राजीव शर्मा द्वारा आयोजित ज्योतिष सम्मेलन में कहा था| उसके बाद श्री राजीव शर्मा द्वारा ही आयोजित जुलाई, 2011 में धर्मशाला ज्योतिष सम्मेलन और दिसंबर, 2011 में जालंधर ज्योतिष सम्मेलन में हमने अपनी यह भविष्यवाणी दोहराई थी| हालाँकि तब बादल सरकार के लिए ऐसा कर पाना सब की नज़रों में असंभव था|  
 अब देखिए उन अंशों को---
(1) पंजाब राज्य के बारे में हमने कहा था-"..अतः इस बार ऐसे लोगों/दलों को सत्ता मिल सकती है, जो कि विरासत की राजनीति कर रहे हैं| इस दायरे में शिरोमणि अकाली दल और प्रकाश सिंह बादल आते हैं| यहाँ सुखबीर सिंह और हरसिमरत कौर विरासत की राजनीति करती हैं| परणीत कौर भी विरासत की राजनीति कराती हैं, मगर यह शुद्ध रूप से विरासत यानि अगली पीढ़ी की नहीं है| साथ ही पति के राजनीति में रहते हुए पत्नी का राजनीति में रहना भी पति की विरासत की राजनीति नहीं कहलाता है| ...प्रकाश सिंह बादल फिर से सत्ता संभाल सकते हैं| ... इस कारण इस बार परिवार/पार्टी से टूट कर चुनाव लड़ने वालों की संख्या हमेशा की बजाय ज़्यादा हो सकती है|"
हुआ यह:-प्रकाश सिंह बादल फिर से सत्ता में लौट आये हैं| इस बार बागियों की संख्या बहुत ज़्यादा थी|
(2) प्रकाश सिंह बादल के बारे में हमने कहा था-"..इस कारण इस बार बादल फिर से सत्ता संभाल सकते हैं|"
हुआ यह:-परिणाम आपके सामने है|
(3) सुखबीर सिंह बादल के बारे में हमने कहा था-"... अभी इन्हें अंक 9 की दशा की दूसरी तिहाई चल रही है| इस दशा की पहली तिहाई ने इन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया, यह दूसरी तिहाई इनका ओहदा बरक़रार रखेगी और तीसरी तिहाई (वर्ष 2014 से 2016) इन्हें मुख्यमंत्री के पद पर बिठा देगी| ......... इनके अंक और बॉडी लैंग्वेज अपने पिता की तुलना में अधिक बलशाली है| इस कारण यदि इन्हें आगे कर चुनाव लड़ा जाता है तो विजय के योग हो जाते हैं| इनके प्रबल 'शत्रु शमन योग' हैं| इस कारण इनसे बाग़ी होकर चुनाव लड़ने वाले लोग बुरी तरह परास्त हो जाएँगे| सुखबीर सिंह बादल उम्र के 52 वें से 54 वें में यानि वर्ष 2014 से वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री बन सकते हैं|"
हुआ यह:-सुखबीर सिंह बादल का उपमुख्यमंत्री का ओहदा बरक़रार रहा| शिरोमणि अकाली दल ने इन्हीं को अपना प्रमुख रणनीतिकार बना कर चुनाव लड़ा, एक विराट, चमत्कारिक और ऐतिहासिक विजय के रूप में परिणाम सब के सामने है| इनसे बाग़ी होकर पंजाब पीपुल्स पार्टी बना कर चुनाव लड़ने वाले इन्हीं के चचेरे भाई मनप्रीत बादल बुरी तरह परस्त हुए हैं| न सिर्फ़ इनकी पार्टी की झोली ख़ाली रही, बल्कि मनप्रीत ख़ुद चुनाव हार गये। रहा सवाल सुखबीर के मुख्यमंत्री बनने संबंधी भविष्यवाणी का,  तो हमारा बताया समय आने दीजिए, हमारी 'कृपात्रयी' की कृपा से यह भी सही साबित होगी।
(4) हमारे अनुसार कांग्रेस को 44-46, भाजपा को 20-22 और अकाली दल को 44-46 सीटें मिलनी थीं। मतगणना की दिनांक 4 मार्च से बदल कर 6 मार्च हो जाने से हमने अपनी भविष्यकथन में संशोधन किया था कि अब भाजपा को 10-12 सीटें मिल सकती हैं। भाजपा की कटी सीटें अकाली दल को चली जाएँगी (यानी अकाली दल की सीटें 44-46+10-12=54-56 हो जाएँगी)। यह संशोधन-सूचना हमारे मासिक अखबार 'अंक प्रभा' के फरवरी, 2012 के अंक में प्रकाशित हुई थी।
हुआ यह:-कांग्रेस को 46, अकाली दल को 56 व भाजपा को 12 सीटें मिलीं।
(5) कैप्टन अमरिंदर सिंह के बारे में हमने कहा था-"अमरिंदर के अंक प्रकाश सिंह बादल के अंकों पर तो भारी पड़ते हैं, किन्तु सुखबीर सिंह बादल के अंकों के मुक़ाबले कमज़ोर हैं।"
हुआ यह:-सुखबीर सिंह बादल ने अमरिंदर सिंह से यह मुक़ाबला जीत लिया।
(6) प्रदेशाध्यक्ष अश्विनी कुमार के बारे में हमने कहा था-"... इस कारण अश्विनी कुमार इस बार चुनाव लड़ने का निर्णय ले लें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।"
हुआ यह:-अश्विनी कुमार ने बिलकुल अनपेक्षित रूप से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और लड़ा भी।

उत्तरप्रदेश : मुलायम के मामले में आश्चर्यजनक रूप से सत्य
उत्तरप्रदेश की गणना में हमने अखिलेश यादव को शामिल ही नहीं किया था; जबकि इसी फैक्टर ने सारा का सारा अंतर पैदा किया| इस प्रदेश के बारे में सरकार बनाने के मामले में हम सही नहीं रहे|  इसे हमारी विफलता और सफलता, दोनों ही माना जा सकता है| विफलता इसलिए कि यहाँ सरकार बनाए जाने के मामले में हम ग़लत रहे| सफलता इस लिए कि हमारी गणना के अनुसार मुलायम सिंह से कुर्सी दूर ही रहनी थी| आप खुद ही देख लीजिए कि समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने के बाद भी कुर्सी तो मुलायम से दूर ही रही|
 अब देखिए उन अंशों को---
(1) हमने कहा था-"मुलायम सिंह यादव : टक्कर अच्छी देंगे, मगर 'कुर्सी' अभी दूर रहेगी|"
हुआ यह:-समाजवादी पार्टी के पूर्ण बहुमत के बाद भी मुख्यमंत्री की कुर्सी तो मुलायम सिंह से दूर ही रही|
(2) हमने कहा था-"भारतीय जनता पार्टी : तीसरे नंबर पर"
हुआ यह:-भाजपा तीसरे नंबर पर ही रही|
(3) हमने कहा था-"कांग्रेस : चौथे स्थान पर"
हुआ यह:-राहुल गाँधी के खूब शोर-शराबे के बाद भी कांग्रेस चौथे स्थान पर ही रही|
(4) हमने कहा था-"इस पार्टी (कांग्रेस) का आयु अंक 8 चुनावी अंकों और उत्तरप्रदेश के अंकों के साथ शुभ युतियाँ कम-अशुभ युतियाँ ज़्यादा बना रहा है| इस कारण यह पार्टी अभी जो बड़ी-बड़ी उम्मीदें लगाये हुए है, वे पूरी नहीं होंगी| इसे तगड़ा झटका लगेगा|"
हुआ यह:-परिणाम आपके सामने है|
(5) कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के बारे में हमने कहा था-"इनका नामांक है-9| इसका वृहदंक है-54| अंक 4, 5 व 9 का यह त्रिकोण शुभ नहीं है| इस पर तुर्रा यह कि रीता बहुगुणा जोशी की बॉडी लैंग्वेज में अंक 5 व अंक 9 मृत अवस्था में है| इस नामांक 9 का मूलांक समीकरण 8-2-8 है| यह अंक 2 को सर्वथा पीड़ित कर देता है, जो कि कांग्रेस का मूलांक भी है| ऐसे में इनके प्रदेशाध्यक्ष रहते तो कांग्रेस को पिटना ही है|"
हुआ यह:-परिणाम आपके सामने है|   
(6) सोनिया गाँधी के बारे में हमने कहा था-"...इस कारण उत्तरप्रदेश के इन चुनावों में इनकी पार्टी को कोई ख़ास/सराहनीय सफलता मिलती नहीं दिख रही है| हाँ, इनकी पार्टी को जो कुछ भी फ़ायदा होगा, वह इनके अंकों के कारण ही होगा|"
हुआ यह:-परिणाम आपके सामने है|+
मणिपुर : हम सौ फ़ीसदी सही रहे
पूर्वोत्तर के इस राज्य के बारे में भी हमारी भविष्यवाणी शत-प्रतिशत सही रही। एक बानगी देखिए-
(1) मणिपुर के बारे में हमने कहा था-"... ये योग अंक 3, 6 व 9 वालों के लिए प्रबल विजय योग बना रहे हैं। चुनावी वर्षांक 5 के साथ इनका योग कांग्रेस, ओकराम अईबोबी सिंह और सोनिया गांधी के लिए बहुत लाभदायक है।"
हुआ यह:-मणिपुर फिर से कांग्रेस के हाथ में आ गया।
(2) मणिपुर पीपुल्स पार्टी के बारे में हमने कहा था-"... इस कारण यदि इस बार के चुनावों में इस पार्टी के अधिकतर शीर्ष नेता चुनाव हार जाएँ तो अचम्भा नहीं होना चाहिए। ......... इस प्रकार मणिपुर पीपुल्स पार्टी का हश्र इस बार भी बुरा होने वाला है।"
हुआ यह:-मणिपुर पीपुल्स पार्टी के सभी दिग्गज नेता चुनाव हार गये। इस पार्टी को पिछली बार 4 सीटें मिली थीं, मगर इस बार तो उसका सफाया ही हो गया।         
(3) ओकराम आईबोबी सिंह के बारे में हमने कहा था-"आईबोबी सिंह को अंक 8 की दशा चल रही है। यह दशा वर्ष 2007 से आरम्भ हुई। इस की पहली अर्द्धली (वर्ष 2007-10) ने इन्हें दूसरी बार ताज पहनाया था। इस दशा की यह दूसरी अर्द्धाली (2011-14) इन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री बना देगी। ......... हालाँकि अन्य सशक्त शुभ युतियों की उपस्थिति के कारण यह इच्छा-पूर्ति में बाधा की युति आईबोबी सिंह को कोई खास नुकसान नहीं पहुँचा पाएगी। कांग्रेस को सबसे ज़्यादा फ़ायदा आईबोबी सिंह के ही अंकों का ही मिलेगा ...।"
हुआ यह:-आईबोबी सिंह के सेनापतित्व में 11 दलों के मोर्चे को परास्त कर कांग्रेस ने फिर से सत्ता पायी और आईबोबी सिंह ठाठ के साथ लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए।  

गोवा : सही ही रहे
अपनी राजनीतिक अस्थिरता के लिए कुख्यात इस दक्षिणी राज्य के बारे में हमारी भविष्यवाणी पंजाब की ही भाँति चुनाव परिणाम से पहले ही सही होनी शुरू हो गयी।
एक बानगी देखिए-
(1) महाराष्ट्रवादी गोमान्तक पार्टी के बारे में हमने कहा था-"अतः यह पार्टी यदि अपनी रीतियों-नीतियों में कुछ लचीलापन ले आती है या समझौता कर लेती है तो इस बार सत्ता का स्वाद भी पा सकती है। बहुत संभव है कि यह पार्टी कांग्रेस की बजाय भाजपा के साथ जाए।"
हुआ यह:-महाराष्ट्रवादी गोमान्तक पार्टी चुनावों से पहले ही भाजपा के साथ चली गयी, मिल कर चुनाव लड़ा और आज 03 सीटें पाकर सत्ता के साथ है।
(2) गोवा के बारे में हमने कहा था-"गोवा को वर्ष 2007 से अंक 8 की दशा शुरू हुई है, जो कि  वर्ष 2014 तक चलेगी। इस दशा की पहली चौथाई में वर्ष 2007-08 में मुख्यमंत्री बदला। दूसरी चौथाई (वर्ष 2009-10) ने उसे बनाये रखा। अब तीसरी चौथाई (वर्ष 2011-12) मुख्यमंत्री बदलने जा रही है, जिसे चौथी चौथाई (वर्ष 2013-14) बनाये रखेगी।
हुआ यह:-गोवा की अंक 8 की दशा की तीसरी चौथाई (वर्ष 2011-12) ने मुख्यमंत्री बदल दिया।
(3) कांग्रेस के बारे में हमने कहा था-"अतः कांग्रेस के लिए सत्ता फिर से पाना टेढ़ी खीर रहेगी।"
हुआ यह:-यही हुआ।
(4) गोवा के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुभाष शिरोड़कर के बारे में हमने कहा था-"...इस बार की लड़ाई में इनकी भावनाओं को ज़्यादा आघात लग सकता है। इस तरह साफ़ है कि इस बार चुनाव के तत्काल बाद तो कांग्रेस को सत्ता से वंचित रहना पड़ेगा।"
हुआ यह:-परिणाम आपके सामने है। 
(5) सोनिया गाँधी के बारे में हमने कहा था-"इस बार चुनाव के तुरंत बाद सोनिया गांधी के अंक कांग्रेस को फिर से सत्ता पर काबिज़ नहीं करवा पाएँगे।"
हुआ यह:-परिणाम आपके सामने है।
(6) भाजपा और इसके प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकांत यशवंत परेसकर के बारे में हमने कहा था-"भाजपा की चलित दशा वर्ष 2008 में आरम्भ हुई। इसकी पहली तिहाई (वर्ष 2008-10) ख़ाली गयी। अब इसी दशा की दूसरी तिहाई (वर्ष 2011-13) इसे फिर से सत्ता पर बिठा सकती है।" ......... "अतः इनकी (प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकांत यशवंत परेसकर की) युतियों के शुभत्व का लाभ  तो भाजपा को मिलेगा ही।"
हुआ यह:-परेसकर के प्रदेशाध्यक्ष रहते भाजपा ने विजय पायी।
(7) दिगंबर कामत के बारे में हमने कहा था-"...इन्होंने (कामत ने) मुख्यमंत्री के रूप में 08-06-2007 को मूलांक 8 व भाग्यांक 5 में शपथ ली थी। तब इनके आयु वर्ष 9 (54 वाँ वर्ष) व गोवा के आयु अंक 3(21 वें वर्ष) की प्रबल शुभ युतियों के कारण इन्होंने अपना कार्यकाल तो पूरा कर लिया, मगर शपथ के मूलांक-भाग्यांक के कारण इतना भी तय हो गया कि कामत अब दूसरी बार लगातार पद पर नहीं बनेंगे। ......... अतः दिगंबर कामत फिर से मुख्यमंत्री कि कुर्सी पर नहीं आ पाएँगे।"
हुआ यह:-पुरजोर कोशिशों के बाद भी दिगंबर कामत फिर से मुख्यमंत्री नहीं बन पाये।
(8) मनोहर पर्रीकर के लिए हमने कहा था-"अतः पर्रीकर के लिए चुनाव-परिणाम संबंधी अच्छी अनुकूलता रह सकती है। नामांक 8 चुनावी वर्षांक 5 के साथ अस्थिरता युति बनाता है। अतः यह संभव है कि गोवा में अगली सरकार में पर्रीकर की भूमिका के बारे में अंतिम समय तक संशय की स्थिति रहे। फिर भी मुख्यमंत्री पद के लिए भाग्य इन पर मेहरबान हो सकता है। ......... कुल मिलाकर मनोहर पर्रीकर के लिए यह चुनाव शुभ रहेगा।"
हुआ यह:-मनोहर पर्रीकर गोवा के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। 
(9) नितिन गडकरी के लिए हमने कहा था-"अतः कुल मिलाकर तो यही लग रहा है कि गडकरी की पार्टी को इनके और मनोहर पर्रीकर के अंकों की अनुकूलता का अच्छा लाभ अवश्य मिलाना है। इस बार भाजपा को गोवा में सत्ता-सुख मिल सकता है।"
हुआ यह:-गोवा में भाजपा सत्ता में आ चुकी है।

उत्तराखंड : पास आ कर चूक गये
इस राज्य के लिए हमने जो भविष्यवाणी की थी, वह अभी सत्य होने के आस-पास ही ठहरी। हमें विश्वास है कि  देर से ही सही, मगर हमारी भविष्यवाणी सही ठहरेगी। हमने कहा था-"भाजपा 33-36 सीटें जीत सकती है ......... खंडूड़ी फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे।" हमारा यह कथन सही होगा, भले ही चाहे इस विधानसभा के हाल में या फिर राष्ट्रपति शासन लागू होकर फिर हुए चुनाव में।
               मित्रो, आज बस इतना ही| शेष कल| .......... आज के आनंद की जय| ............ जय श्री राम|

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें